” छोड़ देते है हम उन्हे “ “छोड़ देते हैं...
विचित्र लाशें, रहस्यमय संकेत, मेडीकल रिपोर्ट, कुछ पुराने यंत्र, अधूरी पांडुलिपियाँ, दिल दहलाने वाली हत्याओं का अंतहीन सिलसिला, उन्हें जोड़ने वाली एक साधारण वसीयत, और एक पुरातन सत्य जो इतिहास से सदैव लुप्त रहा। श्रीमंत परिवार के साथ अपने दोस्त रोहन की मौत की जाँच करने में जुटे इंस्पेक्टर जयंत और उसके साथी डॉ. मजूमदार, रोहन की साधारण वसीयत की जड़ें खंगाल रहे थे तो दूसरी तरफ़ नेशनल लैब के डायरेक्टर डॉ. वर्मा अपने अनेक एजेंटों की जान पर भारी पड़ रही अजीब वस्तुओं की गुत्थी में उलझे हुए थे जिसके तार रोहन से जुड़ रहे थे।
सौरभ कुदेशिया
” छोड़ देते है हम उन्हे “ “छोड़ देते हैं...
रात रात भर जाग जाग कर पलट पलट पन्ने जो...
कुछ लोग तो शहीदों की मां पर भी तरस नहीं...
गिरा ज़रूर हूं मगर हारा नहीं हूंसकी चमक ज़रा देर...
दुनिया अगर काली है , तो मै गोरा कह नही...
पगडंडी को छोड़ खड़ा हूँ उसी गांव की ओर खड़ा...